“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी;मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाईऔर खाली जेब ने ' इन्सानो ' की.जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है।माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती,यहाँ आदमी आदमी से जलता है..दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है कि'मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं Iपर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि;जीवन में मंगल है या नही..ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी, ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी..मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से, ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी..अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो तरीके बदलो, ईरादे नही..ग़ालिब ने खूब कहा है..: ऐ चाँद तू किस मजहब का है ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा..भगवान से वरदान माँगा कि दुश्मनों से पीछा छुड़वा दो,अचानक दोस्त कम हो गए..." जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में..।लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हे...।।।इस दुनिया के लोग भी कितने अजीब है ना ;सारे खिलौने छोड़ कर जज़बातों से खेलते हैं...दोस्तो के साथ जीने का इक मौका दे दे ऐ खुदा...तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे.“तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है…तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं..."
Thursday, August 7, 2014
Lines full of blood in aansu / tears
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