Wednesday, August 27, 2014

Being rich is not the answer


Sunday, August 17, 2014

अनुशासन का, घर का , परिवार का, दोस्तों का, रिश्ता कभी मत तोड़ना

बाप पतंग उड़ा रहा था बेटा ध्यान से देख रहा था
थोड़ी देर बाद बेटा बोला पापा ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है इसे तोड़ दो
बाप ने धागा तोड़ दिया
पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद निचे आ गई
तब बाप ने बेटे को समझाया
बेटा जिंदगी में हम जिस उचाई पर है,
हमें अक्सर लगता है ,
की कई चीजे हमें
और ऊपर
जाने से
रोक रही है,
जैसे
घर,
परिवार,
अनुशासन,
दोस्ती,
और हम उनसे आजाद होना चाहते है,
मगर यही चीज होती है
जो हमें उस उचाई पर बना के रखती है.
उन चीजो के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे
मगर
बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो पतंग का हुआ.
इसलिए जिंदगी में कभी भी
अनुशासन का,
घर का ,
परिवार का,
दोस्तों का,
रिश्ता कभी मत तोड़ना

Thursday, August 7, 2014

Lines full of blood in aansu / tears

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी;
 मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”
 
भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई 
और खाली जेब ने ' इन्सानो ' की.  
 
जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया, 
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है।
 
 माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती, 
यहाँ आदमी आदमी से जलता है..
 
 दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट ये ढूँढ रहे है कि'
 मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं I 
 पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा कि;
 जीवन में मंगल है या नही.. 
 
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी, ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी..  
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से,  ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी.. 
 
 अगर जींदगी मे कुछ पाना हो तो तरीके बदलो, ईरादे नही.. 
ग़ालिब ने खूब कहा है..:  ऐ चाँद तू किस मजहब का है ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा..  
 
 भगवान से वरदान माँगा  कि दुश्मनों से  पीछा छुड़वा दो,            
  अचानक दोस्त कम हो गए... 
 
  " जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में..। 
     लोग उतनें ही, अकेले होते  जा रहे हे...।।।  
 
  इस दुनिया के  लोग भी कितने  अजीब है ना ;       
 सारे खिलौने छोड़ कर  जज़बातों से खेलते हैं...

  दोस्तो के साथ जीने का इक मौका  दे दे ऐ खुदा...          
तेरे साथ तो   हम मरने के बाद  भी रह लेंगे.
 
“तारीख हज़ार  साल में बस इतनी सी बदली है…   
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं..."